दुनिया की स्थिरता, भरोसे और पारदर्शिता का मजबूत आधार है भारत: मोदी

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर :प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को दुनिया की स्थिरता, सातत्य, भरोसे और पारदर्शिता का मजबूत आधार बताते हुए जर्मनी के उद्योग जगत का भारतीय प्रतिभा एवं नवान्वेषण को अपनाने और विश्व के बेहतर भविष्य के लिए योगदान सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
श्री मोदी ने यहां जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ और वाइस चांसलर डॉक्टर रॉबर्ट हाबेक की मौजूदगी में एशिया-पैसिफ़िक कांफ्रेंस ऑफ़ जर्मन बिज़नेस को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने हर कदम, हर मोर्चे पर भारत और जर्मनी की दोस्ती के गहरे होने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “ये साल, भारत-जर्मनी रणनीतिक साझीदारी का 25वाँ वर्ष है। अब आने वाले 25 वर्ष, इस साझीदारी को नई बुलंदी देने वाले हैं। हमने आने वाले 25 वर्षों में विकसित भारत का एक रोडमैप बनाया है। मुझे खुशी है कि ऐसे महत्वपूर्ण समय में जर्मन कैबिनेट ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया है। विश्व की दो सशक्त लोकतंत्र, विश्व की दो शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं, साथ मिलकर कैसे विश्व कल्याण की शक्ति बन सकती हैं, फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट में उसका ब्लू प्रिंट है। इसमें रणनीतिक साझीदारी को समग्रता से आगे बढ़ाने की कार्यशैली और प्रतिबद्धता साफ़ दिखती है। खासतौर पर भारत की कुशल श्रमशक्ति पर जर्मनी ने जो भरोसा जताया है, वो अद्भुत है।”
श्री मोदी ने कहा, “जर्मनी ने कुशल भारतीयों के लिए हर वर्ष मिलने वाले वीज़ा की संख्या, 20 हज़ार से बढ़ाकर 90 हज़ार करने का फैसला किया है। मुझे विश्वास है कि इससे जर्मनी की तरक्की को नई गति मिलेगी।”
उन्होंने कहा कि हमारा आपसी व्यापार 30 अरब डॉलर से अधिक के स्तर पर पहुँच चुका है। आज एक तरफ सैकड़ों जर्मन कम्पनियां भारत में हैं, तो वहीं भारतीय कंपनियां भी तेजी से जर्मनी में अपनी उपस्थिति बढ़ा रही हैं। आज भारत विविधता और जोखिम मुक्त सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। भारत वैश्विक कारोबार एवं विनिर्माण का भी हब बन रहा है। ऐसे में आपके लिए मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड का, ये सबसे उपयुक्त समय है।
उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ और एशिया प्रशांत क्षेत्र के बीच संबंध मजबूत करने में एशिया प्रशांत सम्मेलन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन वह इस मंच को सिर्फ कारोबार और निवेश के सीमित दायरे में ही नहीं देखते हैं। बल्कि वह इसे हिन्द प्रशांत क्षेत्र और विश्व के बेहतर भविष्य की साझीदारी के रूप में देखते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “दुनिया को स्थिरता और सातत्य की ज़रूरत है, भरोसे और पारदर्शिता की ज़रूरत है। चाहे समाज हो या फिर आपूर्ति श्रृंखला, हर मोर्चे पर इन मूल्यों को बल देने की ज़रूरत है। इनके बिना कोई भी देश, कोई भी क्षेत्र, अपने बेहतर भविष्य की कल्पना नहीं कर सकता। हिन्द प्रशांत क्षेत्र तो दुनिया के भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है। वैश्विक वृद्धि हो, जनसंख्या हो या कौशल हो, इस क्षेत्र का योगदान और क्षमता, दोनों बहुत व्यापक है। इसीलिए इस सम्मेलन का महत्व और भी बढ़ जाता है।”