मुर्मु ने राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान किये

नयी दिल्ली 22 अक्टूबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को यहां पांचवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान किये।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि पानी हर व्यक्ति की बुनियादी आवश्यकता और मौलिक मानव अधिकार है और सभी के लिए स्वच्छ जल सुनिश्चित किए बिना स्वच्छ और समृद्ध समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जल की उपलब्धता और इसकी स्वच्छता में कमी से सुविधाहीन लोगों के स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका पर अधिक असर पड़ता है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में जल संसाधन की उपलब्धता के सर्वविदित तथ्य के बाद भी हम जल संरक्षण और इसके प्रबंधन पर ध्यान नहीं देते। मानवीय उपेक्षा से ये संसाधन प्रदूषित और समाप्त हो रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अच्छी बात है कि केन्द्र सरकार ने जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि जल संरक्षण हमारी परंपरा रही है। हमारे पूर्वज गांवों के पास ही तालाब बनवाते थे। वे मंदिरों या उनके पास जलाशय बनवाते थे ताकि पानी की कमी होने पर संग्रहित जल का उपयोग किया जा सके। दुर्भाग्यवश हम अपने पूर्वजों की विवेकपूर्ण समझ को भुला रहे हैं। कुछ लोगों ने निजी स्वार्थवश जलाशयों का अतिक्रमण कर लिया है। इससे सूखे की स्थिति में पानी की उपलब्धता प्रभावित होती है और अत्यधिक बारिश होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
श्रीमती मुर्मु ने ज़ोर देकर कहा कि जल संसाधनों का संरक्षण और संवर्द्धन सभी का सामूहिक दायित्व है और हमारी सक्रिय भागीदारी के बिना देश को जल-सुरक्षा संपन्न बनाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हम अपने छोटे प्रयासों से भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उदाहरण स्वरूप हम अपने घरों के नल खुले न छोडें, ध्यान रखें कि ओवरहेड वॉटर टैंक से पानी भर कर बेकार न जाए, घरों में जल संचयन की व्यवस्था हो और पारंपरिक जलाशयों का सामूहिक रूप से जीर्णोद्धार किया जाए।